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PM मोदी के गांव में खुदाई से निकला 2 हजार साल पुराना किला, 5KM लंबा परकोटा भी मिला

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PM मोदी के गांव में खुदाई से निकला 2 हजार साल पुराना किला, 5KM लंबा परकोटा भी मिला

वडनगर। गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर में पुरातत्व विभाग की
  • कई सालों से खुदाई चल रही है। अब तक यहां सैकड़ों बरस पुरानी चीजें और आवासीय अवशेष मिल चुके हैं।
  • इस बार यहां 2 हजार वर्ष पुराने किले की आकृति और दीवार मिलने का दावा किया गया है।
  • खुदाई करने वालों और भूविशेषज्ञों के मुताबिक, वडनगर में खुदाई से 12 से 14 मीटर लंबा किले
  • जैसा परिसर और दीवार बाहर आए हैं। इनके अलावा यहां शंख की कलात्मक चूडिय़ां,
  • चांदी,तांबापीतल के सिक्के पाए गए हैं। मिट्टी के बर्तन और प्राचीन इमारत के अवशेष भी मिले हैं।

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उत्खनन प्रक्रिया के तहत वडनगर में 50 मीटर का परकोटा उजागर हुआ है।

अभी और 200 मीटर परकोटे की खुदाईसफाई चल रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि, यहां मिले मकान गायकवाडों अथवा सोलंकियों के हो सकते हैं। कई जगह पक्के रास्ते, गटर और जलापूर्ति व्यवस्था भी नजर आ रही हैं। एक परकोटा पांच किलोमीटर का है। इससे पहले नवंबर 2020 में यहां से कुछ दूरी पर 5वीं सदी के 2 बौद्ध स्तूप भी मिले। पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि चूंकि वडनगर हड़प्पा सभ्यता के पुरातत्व स्थलों में से एक है, तो यहां अभी 10 स्तूप और हो सकते हैं।

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इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है।

हजारों साल पहले भी यहां खेती होती थी। उस समय के कई प्राचीन औजार यहां पाए जा चुके हैं। खुदाई के दौरान हाल ही तीसरी व चौथी सदी के बौद्ध स्तूप के अवशेष और 7वीं-8वीं सदी के मानव कंकाल भी मिले थे। फिलहाल यहां कोरोनाअनलॉक के दिनों सारेगामा सर्कल में रेलवे फाटक के पास खुदाई चल रही है।

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पुरातत्व विभाग को जुलाई 2020 में ही वडनगर में खुदाई के दौरान सैकड़ों बरस पुराने कक्ष मिले थे। जिनकी दो मीटर ऊंची और 1 मीटर चौड़ी चार दीवारें भी मिलीं। तब पुरातत्ववेत्ता ने कहा कि, ये 2 हजार साल पुराने बौद्ध कक्ष हैं। पुरातत्ववेत्ता मानते हैं कि, 16वीं सदी में जब से पश्चिमी देशों के लोग भारत आए, तो वे वडनगर की संपदा का इस्तेमाल करने लगे। अंग्रेजों ने यहां भी रेल की पटरियां बिछाई थीं। कुछ रिकॉर्ड बताते हैं कि, संवत 1943 (साल 1887) में महेसाणा और रंदाला, विसनगर, वडनगर के बीच रेलवे लाइन बिछाई गई। उसके बाद ट्रेनें चलने लगीं।

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