Jharkhand भारत का एकमात्र स्थान जहां पर आलू प्याज के भाव में बिकते हैं काजू और बादाम वहां जाने के बाद लोग झोली भर कर
जामताड़ा जब बात काजू खाने या खिलाने की आती है तो अमूमन लोग जेब तलाशने लगते हैं.
ऐसे में अगर कोई कहे कि काजू की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो आपको शायद ही यकीन होगा? यहां से 1200 किलोमीटर दूर झारखंड में काजू हैं? तो जामताड़ा जिले में काजू 10 से 20 रुपये किलो बिक रहे हैं Jharkhand जामताड़ा के नाला में 49 एकड़ क्षेत्र में काजू के बागान हैं? बागान में काम करते बच्चे और महिलाएं। हम काजू को बहुत सस्ते दामों पर बेचते हैं? काजू की फसल को होने वाले फायदे से क्षेत्र के काफी लोगों का रुझान इस ओर हो रहा है? ये बागान Jharkhand जामताड़ा प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर हैं.
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वृक्षारोपण के निर्माण के पीछे की रोचक कहानी
सबसे दिलचस्प बात यह है कि Jharkhand जामताड़ा में काजू का इतना बड़ा उत्पादन कुछ सालों की मेहनत के बाद शुरू हुआ है. क्षेत्र के लोग बताते हैं कि जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा को काजू खाना बहुत पसंद था. इसलिए वह चाहते थे कि Jharkhand जामताड़ा में काजू बागान बन जाएं तो वे ताजा और सस्ते काजू खा सकेंगे।
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इसलिए कृपानंद झा ने ओडिशा में काजू की खेती करने वालों से मुलाकात की।
उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से Jharkhand जामताड़ा की भौगोलिक स्थिति जानी? इसके बाद उन्होंने यहां काजू की बागवानी शुरू की इसे देखने के बाद कुछ ही सालों में यहां? बड़े पैमाने पर काजू की खेती होने लगी कृपानंद झा के यहां से चले जाने के? बाद निमाई चंद्र घोष एंड कंपनी को केवल तीन लाख रुपये के भुगतान पर तीन? साल तक वृक्षारोपण की निगरानी का काम दिया गया. एक अनुमान के मुताबिक? बागान में हर साल हजारों क्विंटल काजू फलता-फूलता है। स्थानीय लोग और वहां से? गुजरने वाले काजू तोड़कर ले जाते हैं।
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काजू की बागवानी में लगे लोगों ने कई बार राज्य सरकार से फसल को बचाने की गुहार लगाई,
Jharkhand लेकिन विशेष ध्यान नहीं दिया गया. पिछले साल सरकार ने नाला क्षेत्र में 100 हेक्टेयर जमीन पर काजू के पौधे लगाने को कहा था। पौधरोपण की सभी प्रकार की तैयारी विभाग ने पूरी कर ली है? Jharkhand राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत काजू का पौधा लगाने की जिम्मेदारी जिला कृषि विभाग को दी गई थी< लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हुआ है।
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